Saturday, January 19, 2013

I can not open last page of this book

The Last Page of my book

यह एक डरावना चुटकला है. कृपया कर कमजोर दिल वालो से प्रार्थना है कि वो इसे ना पढ़ें।
रात बहुत हो गई थी, सड़क भी सुनसान सी ही थी, इस पर बरसात ने माहौल को और अधिक डरावना कर दिया था। बावजूद इसके एक बूढ़ा आदमी एक सड़क के किनारे अपनी किताबें बेचने की फ़ड़ी लगा कर बैठा था। बेचारा करता भी क्या, इतनी बरसात में कहाँ जाता।
इतने में दूर से एक गाड़ी की रोशनी नजर आई तो उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान दौड़ गई।
गाड़ी उसकी स्टाल के पास आकर ही रुकी, गाड़ी में बैठे-बैठे आदमी ने एक किताब उठाई और बूढ़े आदमी से कीमत पूछ कर उसको 300 रूपए दे दिए।
लिफाफे में किताब डाल कर बूढ़े आदमी ने गाड़ी वाले को देते हुए कहा- जब तक कोई मुसीबत ना आये, किताब का आखिरी पन्ना खोल कर मत देखना।
आदमी ने पूरी किताब पढ़ डाली लेकिन कभी आखिरी पन्ना खोल कर नहीं देखा।
एक दिन उससे रहा नहीं गया और आखिरी पन्ना खोल कर देख लिया, नजर पड़ते ही उसकी मौत हो गई।
उसे दिल का दौरा पड़ गया था, आखिरी पन्ने पर लिखा था...
अधिकतम विक्रय मूल्य : 30/-

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