जन्मदिन-कुत्तों से साबधान - बच्चो से प्यारा कुत्ता
उस दिन वर्मा जी जब घर लौटे तो उन्होने देखा कि पूरा घर सजा हुआ था और बड़ा सा केक भी रखा था।वर्मा जी के कुछ सोचने से पहले ही उनकी पत्नी शालू ने अचानक प्रकट होते हुए कहा ‘…सरप्राइज !’
वर्मा जी ने सोचा कि उन्हें अपना जन्मदिन याद नहीं लेकिन नीलू को याद है। इससे पहले कि उनकी आँखों से निकले आँसू फर्श पर बिछे कालीन को गीला करते, शालू बोली- पता है आज लोलो का जन्मदिन है !
'लोलो शालू का लाडला कुत्ता’
वर्मा जी को तो जैसे किसी ने छठी मन्जिल से धक्का दे दिया हो, क्योंकि उन्हें अब याद आ चुका था कि उनका जन्मदिन पिछले महीने था और वो वैसे ही निकल गया था जैसे सरकारी दफ्तर में मेज के नीचे से काला धन जिसका किसी को पता नहीं चलता कि कब कहाँ से आया और कहाँ गया।
वर्मा जी भले ही लोलो के जन्मदिन की तैयारियों से अनभिज्ञ हों पर उनके क्रेडिट कार्ड ने शालू का भरपूर सहयोग किया।
वर्मा जी अब अपने आंगन में बच्चों की किलकारियाँ सुनना चाहते थे लेकिन शालू के विचार इस मामले में (और मामलों की तरह) वर्मा जी से अलग थे, वो कहती- अगर बच्चों की जिम्मेदारी हम पर आएगी तो हम लोलो का ध्यान अच्छे से नहीं रख पाएँगे।
वर्मा जी भविष्य के बारे में सोचकर सिहर जाते, जब उनके मित्र अपने बच्चों की पापा पापा की आवाज सुनकर हर्षाएँगे और वर्मा जी को लोलो की पीं पीं पीं पीं सुनकर सन्तोष करना पड़ेगा।
वर्मा जी अगर भूल से लोलो को कुत्ता कह देते तो उनकी सजा थी तब तक लोलो से सॉरी बोलते रहना जब तक वो उन्हें माफ करके खुशी से अपनी पूंछ न हिला दे।
वर्मा जी पर लोलो ने जो जो सितम ढाए, वर्मा जी सब सहते गए। शालू जब वर्मा जी से नाराज होती तो उन्हें कोसती कि मेरे साथ रहते रहते लोलो की पूंछ सीधी हो गई लेकिन तुम कभी नहीं सुधरोगे।
जब शालू लोलो के साथ चलती, तो लोग कहते कितना भाग्यशाली कुत्ता है, और जब वो वर्मा जी के साथ चलती तो लोग कहते कितना अभागा पति है।
कभी कभी तो वर्मा जी का यह हाल देख मोहल्ले वालों की हंसी वैसे ही फूट पड़ती जैसे खुले मेनहोल से बारिश का पानी उफन कर निकलता है।
एक तो मोहल्ले वालों के ताने और दूसरा शालू का उनके प्रति सौतेला व्यवहार, वर्मा जी क्षुब्ध होकर बोल पड़े- या तो इस घर में लोलो रहेगा या मैं !
शालू बोली कि उन्हें सोचने के लिए थोड़ा समय चाहिए और फिर गहन विचार मन्थन के बाद उन्होंने फैसला कर लिया।
वर्मा जी का पति वाला रिश्ता कुत्ते पर भारी पड़ा और वो भार उठाने में शालू असमर्थ थीं, शालू ने लोलो को अपने पास रखने का फैसला किया।
वर्मा जी आजकल एक किराए के मकान में रहते हैं।
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