Friday, January 25, 2013

It can happen in india only


ट्रेफिक हवलदार - लायसेंस बताओ!
चालक - नहीं है साब!
ट्रेफिक हवलदार - क्या तुमने ड्रायविंग लायसेंस बनवाया है?
चालक - नहीं।
ट्रेफिक हवलदार - क्यों?
चालक - मैं बनवाने गया था, पर वो पहचान पत्र माँगते हैं। वो मेरे पास नही है।
ट्रेफिक हवलदार - तो तुममतदाता पहचान पत्र बनवा लो।
चालक - मै वहाँ गया था साब! वो राशनकार्ड माँगते है। वो मेरेपास नहीं है।
ट्रेफिक हवलदार - तो पहले राशनकार्ड बनवा लो।
चालक - मैं म्युनिसिपल भी गया था साब! वो पासबुक माँगते हैं।
ट्रेफिक हवलदार - तो मेरे बाप बैंक खाता खुलवा ले।
चालक - मैं बैंक गया था साब! बैंकवाले ड्रायविंग लायसेंस माँगते हैं

Saturday, January 19, 2013

Maths of Gabbar

Maths of Gabbar (गब्बर की गणित)

गब्बर: कितने आदमी थे?
सांभा: सरकार दो।
गब्बर: मुझे गिनती नहीं आती है, दो कितने होते हैं?
सांभा: सरकार दो एक के बाद आता है।
गब्बर: और दो के पहले ??
सांभा: दो के पहले एक आता है।
गब्बर: तो फिर बीच में कौन आता है?
सांभा: बीच में कोई नहीं आता।
गब्बर: तो फिर दोनों एक साथ क्यूं नहीं आते?
सांभा: दो एक के बाद ही आ सकता है क्यूंकि दो एक से बड़ा है।
गब्बर: दो एक से कितना बड़ा है?
सांभा: अबे साले गोली मारनी है तो मार दे लेकिन गिनती मत सीख।

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यह एक डरावना चुटकला है. कृपया कर कमजोर दिल वालो से प्रार्थना है कि वो इसे ना पढ़ें।
रात बहुत हो गई थी, सड़क भी सुनसान सी ही थी, इस पर बरसात ने माहौल को और अधिक डरावना कर दिया था। बावजूद इसके एक बूढ़ा आदमी एक सड़क के किनारे अपनी किताबें बेचने की फ़ड़ी लगा कर बैठा था। बेचारा करता भी क्या, इतनी बरसात में कहाँ जाता।
इतने में दूर से एक गाड़ी की रोशनी नजर आई तो उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान दौड़ गई।
गाड़ी उसकी स्टाल के पास आकर ही रुकी, गाड़ी में बैठे-बैठे आदमी ने एक किताब उठाई और बूढ़े आदमी से कीमत पूछ कर उसको 300 रूपए दे दिए।
लिफाफे में किताब डाल कर बूढ़े आदमी ने गाड़ी वाले को देते हुए कहा- जब तक कोई मुसीबत ना आये, किताब का आखिरी पन्ना खोल कर मत देखना।
आदमी ने पूरी किताब पढ़ डाली लेकिन कभी आखिरी पन्ना खोल कर नहीं देखा।
एक दिन उससे रहा नहीं गया और आखिरी पन्ना खोल कर देख लिया, नजर पड़ते ही उसकी मौत हो गई।
उसे दिल का दौरा पड़ गया था, आखिरी पन्ने पर लिखा था...
अधिकतम विक्रय मूल्य : 30/-

Sunday, January 6, 2013

Dog is more lovable than child for a women

जन्मदिन-कुत्तों से साबधान - बच्चो से प्यारा कुत्ता

उस दिन वर्मा जी जब घर लौटे तो उन्होने देखा कि पूरा घर सजा हुआ था और बड़ा सा केक भी रखा था।
वर्मा जी के कुछ सोचने से पहले ही उनकी पत्नी शालू ने अचानक प्रकट होते हुए कहा ‘…सरप्राइज !’
वर्मा जी ने सोचा कि उन्हें अपना जन्मदिन याद नहीं लेकिन नीलू को याद है। इससे पहले कि उनकी आँखों से निकले आँसू फर्श पर बिछे कालीन को गीला करते, शालू बोली- पता है आज लोलो का जन्मदिन है !
'लोलो शालू का लाडला कुत्ता’
वर्मा जी को तो जैसे किसी ने छठी मन्जिल से धक्का दे दिया हो, क्योंकि उन्हें अब याद आ चुका था कि उनका जन्मदिन पिछले महीने था और वो वैसे ही निकल गया था जैसे सरकारी दफ्तर में मेज के नीचे से काला धन जिसका किसी को पता नहीं चलता कि कब कहाँ से आया और कहाँ गया।
वर्मा जी भले ही लोलो के जन्मदिन की तैयारियों से अनभिज्ञ हों पर उनके क्रेडिट कार्ड ने शालू का भरपूर सहयोग किया।
वर्मा जी अब अपने आंगन में बच्चों की किलकारियाँ सुनना चाहते थे लेकिन शालू के विचार इस मामले में (और मामलों की तरह) वर्मा जी से अलग थे, वो कहती- अगर बच्चों की जिम्मेदारी हम पर आएगी तो हम लोलो का ध्यान अच्छे से नहीं रख पाएँगे।
वर्मा जी भविष्य के बारे में सोचकर सिहर जाते, जब उनके मित्र अपने बच्चों की पापा पापा की आवाज सुनकर हर्षाएँगे और वर्मा जी को लोलो की पीं पीं पीं पीं सुनकर सन्तोष करना पड़ेगा।
वर्मा जी अगर भूल से लोलो को कुत्ता कह देते तो उनकी सजा थी तब तक लोलो से सॉरी बोलते रहना जब तक वो उन्हें माफ करके खुशी से अपनी पूंछ न हिला दे।
वर्मा जी पर लोलो ने जो जो सितम ढाए, वर्मा जी सब सहते गए। शालू जब वर्मा जी से नाराज होती तो उन्हें कोसती कि मेरे साथ रहते रहते लोलो की पूंछ सीधी हो गई लेकिन तुम कभी नहीं सुधरोगे।
जब शालू लोलो के साथ चलती, तो लोग कहते कितना भाग्यशाली कुत्ता है, और जब वो वर्मा जी के साथ चलती तो लोग कहते कितना अभागा पति है।
कभी कभी तो वर्मा जी का यह हाल देख मोहल्ले वालों की हंसी वैसे ही फूट पड़ती जैसे खुले मेनहोल से बारिश का पानी उफन कर निकलता है।
एक तो मोहल्ले वालों के ताने और दूसरा शालू का उनके प्रति सौतेला व्यवहार, वर्मा जी क्षुब्ध होकर बोल पड़े- या तो इस घर में लोलो रहेगा या मैं !
शालू बोली कि उन्हें सोचने के लिए थोड़ा समय चाहिए और फिर गहन विचार मन्थन के बाद उन्होंने फैसला कर लिया।
वर्मा जी का पति वाला रिश्ता कुत्ते पर भारी पड़ा और वो भार उठाने में शालू असमर्थ थीं, शालू ने लोलो को अपने पास रखने का फैसला किया।
वर्मा जी आजकल एक किराए के मकान में रहते हैं।

मैं शादीशुदा हूँ...!

एक शराबी ने एक रात बहुत ज्यादा पी ली, इतनी ज्यादा कि उसे होश ही नहीं रहा कि वह कहाँ है।

सुबह जब वह जागा तो उसने पाया कि वह अपने घर में ही है लेकिन साथ ही उसे डर भी सताने लगा कि आज तो पत्नी जबरदस्त हंगामा करेगी।

जैसे-तैसे डरते-डरते उसने आँखें खोलीं तो देखा कि घर में बिजली नहीं है और उसकी पत्नी बड़े प्यार से उसे पंखा झल रही है।

उसके जागते ही पत्नी प्यार से बोली– जाग गए आप? बैठिये, मैं आपके लिए अभी चाय लेकर आती हूँ।

शराबी ने चुपचाप चाय पी ली।

इसके बाद पत्नी बोली– मैं ज़रा सामान लेने बाज़ार जा रही हूँ तब तक आप फ्रेश होकर नाश्ता कर लीजिए। गरमा-गरम नाश्ता रसोई में तैयार रखा है, वापस आकर आपका मनपसंद खाना बनाऊँगी।

शराबी सन्न था, उसे पत्नी के इस बदले व्यवहार की वजह समझ में नहीं आ रही थी।

पत्नी के जाते ही उसने अपने बेटे को बुलाया और पूछा– बेटा, रात को क्या हुआ था?

बेटे ने बताया– रात को 3 बजे आपके दोस्त आपको घर पर लेकर आये थे, आपको बिल्कुल भी होश नहीं था, आते ही आप मेज पर गिर पड़े जिससे मेज का कांच टूट गया। आपने फर्श पर उलटी भी की थी।

शराबी– फिर तो तुम्हारी माँ को बहुत नाराज़ होना चाहिए था पर ऐसा लग नहीं रहा, क्यों?

बेटा– वो तो आपने नशे की हालत में एक ऐसी बात कह दी कि उनका दिल ही जीत लिया बस !

शराबी– क्या? ऐसा क्या कहा मैंने?

बेटा– आपको बिस्तर पर लिटाकर जब वो आपकी गन्दी पैंट उतारने की कोशिश कर रहीं थीं तो आप चिल्लाये- 'भगवान के लिए ऐसा मत करो... मैं शादीशुदा हूँ...!'